वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग
२० मई, २०१८
अद्वैत बोधस्थल , ग्रेटर नोएडा
गीत:
दिल है कि मानता नहीं, मुश्किल बड़ी है रस्म-ए-मोहब्बत
ये जानता ही नहीं, दिल है कि मानता…
ये बेकरारी क्यों हो रही है, ये जानता ही नहीं
दिल है कि मानता…
दिल तो ये चाहे, हर पल तुम्हें हम, बस यूं ही देखा करेंमर के भी हम ना, तुमसे जुदा हों, आओ कुछ ऐसा करें
मुझ में समा जा, आ पास आ जा, हमदम मेरे, हमनशीं
दिल है कि मानता…
तेरी वफ़ाएं, तेरी मोहब्बत, सब कुछ है मेरे लिए
तूने दिया है, नज़राना दिल का, हम तो हैं तेरे लिए
ये बात सच है, सब जानते हैं, तुमको भी है, ये यक़ीं
दिल है कि मानता…
हम तो मोहब्बत, करते हैं तुमसे, हमको है बस इतनी खबर
तन्हाँ हमारा, मुश्क़िल था जीना, तुम जो न मिलते अगर
बेताब साँसें, बेचैन आँखें, कहने लगीं, बस यही
दिल है कि मानता…
गीत: दिल है कि मानता नहीं
संगीतकार: कुमार सानु, अनुराधा पौडवाल
फ़िल्म: दिल है कि मानता नहीं (१९९१)
बोल: फैज अनवर
संगीत: मिलिंद दाते